लेखनी प्रतियोगिता -29-Oct-2022 मन भाव
मन भाव
मन की व्यथा जो छुपी छुपाई आज सुनाने वाली हूं,
दिल के भावों की अभिव्यक्ति स्वर में गाने वाली हूं।
सोच रही हूं किसे सुनाऊं, कौन सुनेगा दिल की बात,
जिसको मैंने समझा अपना छोड़ दिया है उसने साथ,
काले अंतर्मन भेदी से एहसास छुपाने वाली हूं,
दिल के भावों की अभिव्यक्ति स्वर में गाने वाली हूं।
मैं भोली, सादगी से करती जीवन में व्यवहार सदा,
मिठ बोलेपन में फंस जाती गद्दारी नहीं मेरी अदा,
आस्तीन में पलते सांपों को मार भगाने वाली हूं,
दिल के भावों की अभिव्यक्ति स्वर में गाने वाली हूं।
मन मेरा निर्मल निश्छल है ज्यों गंगा की पावन धरा,
पर इस धोखे भरी दुनिया में सत्य हमेशा ही हारा,
माना सब कुछ जिसको मैंने अब गद्दार बताने वाली हूं।
दिल के भावों की अभिव्यक्ति स्वर में गाने वाली हूं।
मतलब की साथी ये दुनिया ओढ़ गाय की खाल चले,
कहते हम हैं सदा तुम्हारे मन में स्वार्थ के भाव पलें,
ऐसे लोगों की छवियों को प्रतिबिंबित करने वाली हूं।
दिल के भावों की अभिव्यक्ति स्वर में गाने वाली हूं।
मनोव्यथा का राज में खोलूं कोई नहीं सुनने वाला,
सुनकर लोग कहेंगे मुझको मतवाली है यह वाला,
कोई नहीं 'अलका' का जग में ये रीति बताने वाली हूं।
दिल के भावों की अभिव्यक्ति स्वर में गाने वाली हूं।
मन की व्यथा जो छुपी छुपाई आज सुनाने वाली हूं,
दिल के भावों की अभिव्यक्ति स्वर में गाने वाली हूं।
अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
Palak chopra
03-Nov-2022 03:33 PM
Shandar 🌸
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Priyanka06
30-Oct-2022 12:27 PM
बहुत ही बेहतरीन सृजन
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
30-Oct-2022 10:12 AM
Woow लाजवाब लाजवाब
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